माॅस्को. अमेरिका और चीन के बीच लगातार तनाव बढ़ता जा रहा है. इस बीच रूस ने भी अपने सैनिकों की तैनाती बढ़ाने का फैसला किया है. रूस के रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगू ने गुरुवार को कहा कि रूस क्षेत्र में बढ़ते तनाव को देखते हुए सुदूर पूर्व में अपनी सैन्य उपस्थिति बढ़ा रहा है. रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि पूर्वी चीन सागर में स्थित रूस के नेवल बेस व्लादिवोस्तोक पर रूसी सेना की संख्या बढ़ाई जाएगी. इस बेस के जरिए रूस प्रशांत महासागर, पूर्वी चीन सागर और फिलीपीस की खाड़ी के क्षेत्रों पर अपनी नजर रखता है.
रूसी रक्षा मंत्रालय की वेबसाइट के अनुसार, सर्गेई शोइगू ने कहा कि पूर्वी क्षेत्र में तनाव बढ़ने के कारण सौनिकों की तैनाती बढ़ाई जा रही है, लेकिन उन्होंने अपने बयान में किसी देश का नाम नहीं लिया. उन्होंने अपने बयान में नए खतरों का जिक्र तो किया, लेकिन सीधे तौर पर उन खतरों के बारे में नहीं बताया. वहीं विशेषज्ञों ने कहा कि चीन से लगी सीमा और प्रशांत महासागर क्षेत्र में बढ़ते तनाव से रूस चिंतित है. रूस इस क्षेत्र में अपने हितों की सुरक्षा के लिए सैनिकों की उपस्थिति को बढ़ा रहा है.
माॅस्को के कार्नेगी सेंटर के विश्लेषक अलेक्जेंडर गब्यूव ने की मानें, तो रूस यह सुनिश्चित करना चाहता है कि टकराव शुरू होने वाले क्षेत्र में उसके पास पर्याप्त सैन्य क्षमताएं मौजूद रहे. माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में अमेरिका और चीन के बीच नौसैनिक टकराव हो सकता है. रूस कभी भी ऐसे में रक्षाहीन होकर पूरे मामले को ऐसे ही नहीं देख सकता है. उसे भी इस क्षेत्र में अपनी वायुसेना, थल सेना और नौसेना की ताकत को बढ़ाना होगा.
पूर्वी क्षेत्र में सैनिकों की तैनाती बढ़ाकर रूस दोनों देशों को अपनी ताकत दिखाना चाहता है. एक तरफ जहां वह अपने पारंपरिक दुश्मन अमेरिका को सीधा संदेश दे रहा है, वहीं दूसरी तरफ व्लादिवोस्तोक शहर पर चीन के किए गए दावों को लेकर भी सख्ती दिखा रहा है. अमेरिका इस क्षेत्र में जापान की मदद से अपनी सैन्य उपस्थिति को लगातार मजबूत कर रहा है. उसके जंगी जहाज साउथ चाइना सी और ईस्ट चाइना सी का चक्कर लगा रहे हैं. ऐसे में चीन और रूस दोनों देश सतर्क हैं.
रूस के पूर्वी हिस्से में लंबे समय से राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के खिलाफ कड़ा विरोध प्रदर्शन जारी है. चीनी सीमा के पास स्थित खाबरोवस्क शहर इस गतिविधियों का केंद्र बना हुआ है. इस शहर से एक स्थानीय राजनीतिक नेता की गिरफ्तारी के खिलाफ हफ्तों तक प्रदर्शन हुए हैं. ऐसे में रूस सेना के दम पर विरोध को कुचलने का काम भी कर सकता है.
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